टैरिफ युद्ध: 2025 जानें रत के मोबाइल मार्केट पर क्या होगा असर

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2025 में वैश्विक व्यापार युद्ध, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% पारस्परिक टैरिफ ने भारत के मोबाइल मार्केट को नए चुनौतियों और अवसरों के सामने ला खड़ा किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अप्रैल 2025 में घोषित “लिबरेशन डे” टैरिफ नीति ने भारत सहित कई देशों के लिए व्यापारिक गतिशीलता को बदल दिया है।

टैरिफ युद्ध का पृष्ठभूमि

अमेरिका ने भारत के सामानों पर 26% टैरिफ लागू किया है, जो कि यूरोपीय संघ (20%), जापान (24%), और दक्षिण कोरिया (25%) की तुलना में अधिक है, लेकिन चीन (54%) से कम है। यह टैरिफ भारत के 52% टैरिफ के जवाब में लगाया गया है, जैसा कि ट्रम्प प्रशासन ने दावा किया है। भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा $46 बिलियन है, और यह नीति व्यापार असंतुलन को कम करने का प्रयास है। हालांकि, मोबाइल मार्केट, जो भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इस टैरिफ युद्ध से विशेष रूप से प्रभावित हो रहा है।

भारत का मोबाइल मार्केट: एक नजर

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है, जिसमें 2024 में 800 मिलियन स्मार्टफोन यूजर्स थे। FY24 में भारत ने $14.39 बिलियन के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान (जिनमें स्मार्टफोन और उनके कंपोनेंट्स शामिल हैं) का निर्यात किया, जिसमें से $7.24 बिलियन अमेरिका को निर्यात हुआ। प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम ने भारत में स्मार्टफोन उत्पादन को बढ़ावा दिया है, लेकिन उच्च इनपुट टैरिफ (7.4% औसतन) ने निर्यात को चुनौती दी है।

टैरिफ युद्ध का मोबाइल मार्केट पर प्रभाव

टैरिफ युद्ध ने भारत के मोबाइल मार्केट को कई तरह से प्रभावित किया है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला, उत्पादन लागत, निर्यात, और उपभोक्ता कीमतें शामिल हैं। नीचे इसके प्रमुख प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

1. आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव

भारत के स्मार्टफोन उद्योग में 70% से अधिक कंपोनेंट्स आयात किए जाते हैं, खासकर चीन, वियतनाम, और दक्षिण कोरिया से। अमेरिकी टैरिफ ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया है, जिसका असर भारत पर भी पड़ा है।

  • चीन से आयात: भारत स्मार्टफोन कंपोनेंट्स के लिए चीन पर 60-70% निर्भर है। अमेरिका द्वारा चीन पर 54% टैरिफ लगाने से चीनी निर्माता भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों में अपने उत्पाद डंप कर सकते हैं। इससे स्थानीय कीमतें कम हो सकती हैं, लेकिन यह भारतीय कंपोनेंट निर्माताओं के लिए नुकसानदायक है।
  • लागत में वृद्धि: टैरिफ के कारण आयातित कंपोनेंट्स की कीमतें 10-15% तक बढ़ सकती हैं, जिससे स्मार्टफोन की उत्पादन लागत बढ़ेगी।

तालिका 1: भारत में स्मार्टफोन कंपोनेंट्स के प्रमुख आयात स्रोत (2024)

देशआयात हिस्सेदारी (%)टैरिफ प्रभाव (2025)
चीन65%54% टैरिफ (अमेरिका)
वियतनाम15%46% टैरिफ (अमेरिका)
दक्षिण कोरिया10%25% टैरिफ (अमेरिका)
अन्य10%10% बेसलाइन टैरिफ

स्रोत: India Cellular and Electronics Association (ICEA), 2024

2. निर्यात पर प्रभाव

भारत का मोबाइल निर्यात, विशेष रूप से अमेरिका को, टैरिफ के कारण प्रभावित हुआ है। 2024 में भारत ने $14.39 बिलियन के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात किए, जिनमें स्मार्टफोन और उनके पार्ट्स शामिल थे। अमेरिका को निर्यात 18% ($7.24 बिलियन) था।

  • 26% टैरिफ का प्रभाव: यह टैरिफ स्मार्टफोन और कंपोनेंट्स को अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी बनाता है। उदाहरण के लिए, Apple, जो भारत में iPhone उत्पादन बढ़ा रहा है, को अपने निर्यात पर $0.13-0.78 बिलियन का नुकसान हो सकता है।
  • बाजार हिस्सेदारी: भारत की तुलना में वियतनाम (46% टैरिफ) और बांग्लादेश (37% टैरिफ) पर अधिक टैरिफ के कारण भारत को कुछ प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकता है।

तालिका 2: भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर टैरिफ का प्रभाव (2024-2025)

निर्यात श्रेणी2024 में निर्यात ($ बिलियन)टैरिफ प्रभाव (% लागत वृद्धि)संभावित नुकसान ($ मिलियन)
स्मार्टफोन7.2426%130-780
कंपोनेंट्स5.0026%100-500
अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स2.1526%50-200

स्रोत: GTRI, 2025; Macquarie, 2025

3. उपभोक्ता कीमतों पर प्रभाव

टैरिफ युद्ध से स्मार्टफोन की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। J.P. Morgan के अनुसार, प्रत्येक 10% टैरिफ वृद्धि से उपभोक्ता कीमतों में 1% की वृद्धि होती है। भारत में पहले से ही उच्च इनपुट टैरिफ (7.4%) के कारण स्मार्टफोन की कीमतें वैश्विक प्रतिस्पर्धियों (चीन: 0%, वियतनाम: 0-5%) की तुलना में अधिक हैं।

  • कीमत वृद्धि: 2025 में स्मार्टफोन की कीमतों में 5-10% की वृद्धि की उम्मीद है, खासकर मिड-रेंज और प्रीमियम सेगमेंट में।
  • उपभोक्ता व्यवहार: X पर यूजर्स ने चिंता जताई है कि बढ़ती कीमतें मिड-रेंज फोन्स की मांग को प्रभावित कर सकती हैं। एक यूजर ने लिखा, “टैरिफ की वजह से अब ₹30,000 का फोन ₹35,000 का हो जाएगा।”

तालिका 3: स्मार्टफोन कीमतों पर टैरिफ का प्रभाव (2025)

सेगमेंटवर्तमान औसत कीमत (₹)संभावित वृद्धि (%)नई कीमत (₹)
बजट (<₹15,000)12,0005%12,600
मिड-रेंज (₹15,000-₹30,000)25,0008%27,000
प्रीमियम (>₹30,000)50,00010%55,000

स्रोत: ICEA, 2025; J.P. Morgan, 2025

4. भारतीय ब्रांड्स और स्टॉक मार्केट

टैरिफ युद्ध ने भारतीय स्मार्टफोन निर्माताओं और संबंधित कंपनियों के स्टॉक पर असर डाला है। Nifty 50 और BSE Sensex में टैरिफ की घोषणा के बाद क्रमशः 743 अंक और 2,200 अंक की गिरावट देखी गई।

  • प्रभावित कंपनियां: Dixon Technologies, Kaynes Technology, और Syrma SGS, जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) प्रदान करते हैं, को टैरिफ के कारण ऑर्डर वॉल्यूम में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
  • लाभकारी कंपनियां: घरेलू बाजार पर केंद्रित कंपनियां जैसे Lava और Micromax को कम प्रभाव पड़ सकता है।

तालिका 4: प्रमुख भारतीय कंपनियों पर टैरिफ का प्रभाव

कंपनीअमेरिका से राजस्व (%)स्टॉक प्रभाव (अप्रैल 2025)संभावित रणनीति
Dixon Technologies10-15%-5%बाजार विविधीकरण
Kaynes Technology12%-4%लागत पास-थ्रू
Lava International2%+1%घरेलू बिक्री बढ़ाना

स्रोत: Macquarie, 2025; BSE, 2025

5. अवसर और रणनीतियां

टैरिफ युद्ध ने भारत के लिए कुछ अवसर भी खोले हैं:

  • बाजार विविधीकरण: भारत यूरोप, अफ्रीका, और ASEAN देशों में निर्यात बढ़ा सकता है। 2024 में भारत के कुल निर्यात का केवल 18% अमेरिका को गया था।
  • PLI स्कीम का विस्तार: सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए PLI स्कीम में ₹76,000 करोड़ का निवेश किया है, जो स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देगा।
  • चीन से डायवर्सन: अमेरिकी टैरिफ के कारण Apple और Samsung जैसी कंपनियां भारत में उत्पादन बढ़ा रही हैं। Apple का भारत में उत्पादन 2024 में $14 बिलियन तक पहुंच गया।

X पर जनता की राय

X पर यूजर्स ने टैरिफ युद्ध को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। एक यूजर ने लिखा, “टैरिफ से स्मार्टफोन की कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन भारत को अब लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करना चाहिए।” एक अन्य ने कहा, “Apple भारत में प्रोडक्शन बढ़ा रहा है, यह हमारे लिए अच्छा मौका है।” कुछ यूजर्स ने चिंता जताई कि बढ़ती कीमतें मांग को प्रभावित करेंगी।

निष्कर्ष

2025 का टैरिफ युद्ध भारत के मोबाइल मार्केट के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आया है। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और कीमतों में वृद्धि से उपभोक्ता प्रभावित होंगे, लेकिन भारत की अपेक्षाकृत कम टैरिफ दर (चीन और वियतनाम की तुलना में) और PLI स्कीम इसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत स्थिति दे सकती है। सरकार और कंपनियों को बाजार विविधीकरण, स्थानीय उत्पादन, और लागत प्रबंधन पर ध्यान देना होगा।


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