पहली नौकरी पर मिलेंगे 15,000 रुपये? PM मोदी की विकसित भारत रोजगार योजना का पूरा ब्योरा – जानिए फायदे और कैसे मिलेगा लाभ: प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ (PM Viksit Bharat Rozgar Yojana)

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15 अगस्त 2025 का दिन भारत के इतिहास में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए युवाओं के लिए एक बड़ी सौगात दी। उन्होंने ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ (PM Viksit Bharat Rozgar Yojana) की शुरुआत का ऐलान किया, जो देश के नौजवानों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी देगी। इस योजना के तहत पहली बार प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले युवाओं को सरकार की ओर से 15,000 रुपये दिए जाएंगे। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब देश में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और युवा वर्ग नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहा है।

पहली नौकरी पर मिलेंगे 15,000 रुपये? लाल किले से मोदी का धमाकेदार ऐलान, जानिए कैसे मिलेगा फायदा

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, “देश के युवाओं के लिए आज से एक लाख करोड़ रुपये की योजना शुरू हो रही है। जो बेटा या बेटी पहली नौकरी पाएंगे, उन्हें सरकार 15,000 रुपये देगी।” यह ऐलान न केवल युवाओं को उत्साहित कर रहा है बल्कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी प्रोत्साहित करने वाला है। योजना का मुख्य उद्देश्य अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा करना है, जिसमें से लगभग 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं के लिए होंगी। आइए, समझते हैं कि यह कैसे काम करेगी, किसे लाभ मिलेगा और इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।

योजना क्या है और इसका उद्देश्य

प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना एक महत्वाकांक्षी स्कीम है, जिसकी मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने 1 जुलाई 2025 को दी थी। इसका कुल बजट करीब 99,446 करोड़ रुपये है, जो लगभग 1 लाख करोड़ के बराबर है। योजना का फोकस युवाओं, छोटे-मध्यम उद्यमों (MSMEs), मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और टेक्नोलॉजी सेक्टरों पर है। मोदी सरकार का मानना है कि रोजगार सृजन से ही विकसित भारत का सपना साकार होगा।

इस योजना को दो भागों में बांटा गया है: भाग ‘क’ युवाओं के लिए और भाग ‘ख’ नौकरी देने वाली कंपनियों के लिए। भाग ‘क’ में पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को वित्तीय सहायता मिलेगी, जबकि भाग ‘ख’ में कंपनियों को सब्सिडी देकर अधिक रोजगार पैदा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में गरीबी का जिक्र करते हुए कहा कि वे खुद गरीबी को जानते हैं, इसलिए सरकार को फाइलों में नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी में सक्रिय होना चाहिए। यह योजना उसी दिशा में एक कदम है।

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योजना की शुरुआत 1 अगस्त 2025 से प्रभावी मानी जा रही है और यह 31 जुलाई 2027 तक चलेगी। इसका मतलब है कि इस अवधि में जॉइन करने वाली नौकरियां ही इसके दायरे में आएंगी। सरकार का अनुमान है कि इससे न केवल बेरोजगारी कम होगी बल्कि युवाओं की आर्थिक स्वतंत्रता भी बढ़ेगी।

युवाओं को क्या लाभ मिलेगा

योजना का सबसे आकर्षक हिस्सा युवाओं के लिए 15,000 रुपये का इंसेंटिव है। यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी:

  • पहली किस्त: 7,500 रुपये, नौकरी जॉइन करने के 6 महीने बाद।
  • दूसरी किस्त: 7,500 रुपये, 12 महीने पूरे होने और फाइनेंशियल लिटरेसी प्रोग्राम पूरा करने के बाद।

यह इंसेंटिव केवल उन युवाओं को मिलेगा जो पहली बार प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में रजिस्टर्ड हैं। सैलरी की सीमा 1 लाख रुपये प्रति माह तक है। अगर सैलरी इससे ज्यादा है, तो लाभ नहीं मिलेगा। यह सहायता सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी, जो युवाओं को शुरुआती खर्चों जैसे ट्रांसपोर्ट, रहन-सहन या स्किल डेवलपमेंट में मदद करेगी।

उदाहरण के तौर पर, अगर कोई युवा 1 सितंबर 2025 को एक प्राइवेट कंपनी में जॉइन करता है, जहां उसकी सैलरी 80,000 रुपये है और वह EPFO में रजिस्टर्ड होता है, तो 6 महीने बाद (मार्च 2026) उसे पहली किस्त मिलेगी। पूरे एक साल बाद, अगर वह नौकरी जारी रखता है और फाइनेंशियल लिटरेसी कोर्स पूरा करता है, तो दूसरी किस्त मिल जाएगी। यह न केवल नौकरी में स्थिरता लाएगा बल्कि युवाओं को वित्तीय जागरूकता भी सिखाएगा।

कंपनियों और नियोक्ताओं को फायदे

योजना सिर्फ कर्मचारियों तक सीमित नहीं है। नौकरी देने वाली कंपनियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा, खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में। सरकार प्रति नए कर्मचारी 3,000 रुपये प्रति माह की सब्सिडी देगी, जो दो साल तक चलेगी। शर्त यह है कि कर्मचारी कम से कम 6 महीने तक नौकरी में रहे। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए यह इंसेंटिव तीसरे और चौथे साल तक बढ़ाया जा सकता है।

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यह सब्सिडी कंपनियों को अधिक लोगों को हायर करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। MSMEs, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, को इससे विशेष लाभ होगा क्योंकि वे अक्सर हायरिंग में लागत की वजह से पीछे रह जाते हैं। योजना से उम्मीद है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की बाढ़ आएगी, जो GDP ग्रोथ को बूस्ट देगी।

पात्रता मानदंड और आवेदन प्रक्रिया

पात्र होने के लिए कुछ शर्तें हैं:

  • युवा की उम्र कोई सीमा नहीं बताई गई है, लेकिन पहली नौकरी होनी चाहिए।
  • सैलरी 1 लाख रुपये तक।
  • EPFO रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
  • नौकरी 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 के बीच जॉइन की गई हो।
  • अगर नौकरी छोड़ दी जाती है, तो इंसेंटिव रुक सकता है।

आवेदन की प्रक्रिया बेहद सरल है। कोई अलग फॉर्म भरने की जरूरत नहीं। जैसे ही युवा EPFO में रजिस्टर्ड होता है और नौकरी शुरू करता है, योजना अपने आप लागू हो जाएगी। सरकार EPFO के डेटा के आधार पर लाभ ट्रांसफर करेगी। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक कदम है, जहां ब्यूरोक्रेसी कम हो।

योजना का व्यापक प्रभाव

यह योजना मोदी सरकार की अन्य योजनाओं जैसे आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया से जुड़ी हुई है। प्रधानमंत्री ने भाषण में किसानों के लिए चल रही योजनाओं, महिलाओं के लिए लखपति दीदी स्कीम और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए PM स्वनिधि योजना का भी जिक्र किया। साथ ही, दिवाली पर नई GST रिफॉर्म की घोषणा की, जो टैक्स दरों को कम और सरल बनाएगी।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बेरोजगारी दर में कमी आएगी, जो वर्तमान में युवाओं के लिए 10-15% के आसपास है। योजना से MSMEs मजबूत होंगे, जो 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं। हालांकि, चुनौतियां भी हैं जैसे इंसेंटिव का दुरुपयोग रोकना और सुनिश्चित करना कि नौकरियां स्थायी हों। सरकार को मॉनिटरिंग सिस्टम मजबूत करना होगा।

सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

यहां कुछ आम सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं, जो युवाओं के मन में उठ सकते हैं:

प्रश्न 1: क्या यह योजना सरकारी नौकरियों पर भी लागू होती है?
उत्तर: नहीं, यह केवल प्राइवेट सेक्टर की पहली नौकरी पर लागू है। सरकारी नौकरियां इसके दायरे से बाहर हैं।

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प्रश्न 2: अगर मेरी सैलरी 1 लाख से ज्यादा है, तो क्या लाभ मिलेगा?
उत्तर: नहीं, सैलरी की ऊपरी सीमा 1 लाख रुपये प्रति माह है। इससे ज्यादा होने पर इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा।

प्रश्न 3: फाइनेंशियल लिटरेसी प्रोग्राम क्या है और इसे कैसे पूरा करें?
उत्तर: यह एक छोटा ऑनलाइन कोर्स है, जो सरकार की वेबसाइट या ऐप के माध्यम से उपलब्ध होगा। इसमें बेसिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिखाया जाएगा। दूसरी किस्त इसी पर निर्भर है।

प्रश्न 4: अगर मैं 6 महीने से पहले नौकरी छोड़ दूं, तो क्या होगा?
उत्तर: पहली किस्त नहीं मिलेगी। योजना में स्थिरता पर जोर है, इसलिए कम से कम 6 महीने नौकरी जारी रखनी होगी।

प्रश्न 5: कंपनियां कैसे लाभ उठा सकती हैं?
उत्तर: कंपनियां नए कर्मचारियों को हायर करके सब्सिडी क्लेम कर सकती हैं। EPFO पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के आधार पर प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को अतिरिक्त सालों का लाभ मिलेगा।

प्रश्न 6: योजना की वैधता कब तक है?
उत्तर: 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 तक जॉइन की गई नौकरियां कवर होंगी। उसके बाद नई नौकरियां शामिल नहीं होंगी।

प्रश्न 7: क्या विदेशी कंपनियां भी इसमें शामिल हो सकती हैं?
उत्तर: हां, अगर वे भारत में रजिस्टर्ड हैं और EPFO के तहत आती हैं, तो शामिल हो सकती हैं। फोकस भारतीय युवाओं पर है।

प्रश्न 8: इंसेंटिव कैसे ट्रांसफर होगा?
उत्तर: डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से, आधार लिंक्ड बैंक अकाउंट में। कोई कागजी कार्रवाई नहीं।

यह योजना युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। अगर आप नौकरी की तलाश में हैं, तो प्राइवेट सेक्टर की ओर रुख करें और EPFO रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करें। मोदी सरकार का यह कदम न केवल रोजगार बढ़ाएगा बल्कि देश को विकसित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। अधिक जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइट्स जैसे PIB या EPFO पोर्टल चेक करें।


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