प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: किसानों के लिए खुला खजाना, जानें कैसे मिलेगा लाखों का फायदा!
भारत के किसान, जो देश की रीढ़ हैं, उनके लिए केंद्र सरकार ने एक और सुनहरा अवसर लाया है। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhanya Krishi Yojana) के तहत 100 जिलों में कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की योजना बनाई गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025-26 में इस योजना की घोषणा की थी, और हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके कार्यान्वयन और लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। यह योजना 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई है, जिसमें छोटे और सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान दिया गया है। आइए, इस योजना के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह किसानों के लिए कैसे लाखों का फायदा ला सकती है।
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योजना का परिचय और उद्देश्य
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित एक अनूठी पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य उन 100 जिलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है, जहां फसल उत्पादन कम है, फसल सघनता मध्यम है, और ऋण की उपलब्धता सीमित है। इस योजना के लिए सरकार ने 24,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटित किया है, जो 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 वर्षों तक चलेगा। यह योजना 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करके लागू की जाएगी, जिसमें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और अन्य समान योजनाएं शामिल हैं।
इस योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- उत्पादकता में वृद्धि: कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में फसल उत्पादन को 20-30% तक बढ़ाना।
- फसल विविधीकरण: किसानों को एक ही फसल पर निर्भरता कम करने के लिए विभिन्न फसलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- टिकाऊ खेती: जलवायु-अनुकूल और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना।
- आर्थिक सशक्तिकरण: छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता और ऋण की आसान पहुंच प्रदान करना।
- पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन: फसल कटाई के बाद भंडारण और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं को मजबूत करना।
योजना की शुरुआत और कार्यान्वयन
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह योजना अक्टूबर 2025 से रबी सीजन के साथ शुरू होगी। जुलाई 2025 के अंत तक उन 100 जिलों की पहचान कर ली जाएगी, जहां यह योजना लागू होगी। प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिला इस योजना में शामिल होगा, ताकि देश के हर हिस्से में इसका लाभ पहुंचे। जिलों का चयन तीन प्रमुख मानदंडों पर आधारित होगा:
- कम फसल उत्पादकता
- मध्यम फसल सघनता
- औसत से कम ऋण उपलब्धता
योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र बनाया गया है:
- जिला धन-धान्य समिति: प्रत्येक चयनित जिले में एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें जिला कलेक्टर, प्रगतिशील किसान, और अन्य हितधारक शामिल होंगे। यह समिति जिला-स्तरीय कृषि और संबद्ध गतिविधियों की योजना तैयार करेगी।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर की समितियां: नीति आयोग और राज्य सरकारों के साथ मिलकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी, जो योजना के कार्यान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी लेंगी।
- डिजिटल डैशबोर्ड: नीति आयोग द्वारा 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) के आधार पर एक डिजिटल डैशबोर्ड बनाया जाएगा, जो योजना की प्रगति को मासिक रूप से ट्रैक करेगा।
किसानों को मिलने वाले लाभ
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का लक्ष्य 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है। यह योजना खास तौर पर छोटे और सीमांत किसानों, महिला किसानों, और ग्रामीण युवाओं पर केंद्रित है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
लाभ | विवरण |
---|---|
वित्तीय सहायता | किसानों को ट्रैक्टर, पंप सेट, ड्रिप सिंचाई उपकरण, और उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदने के लिए सब्सिडी और ऋण की सुविधा मिलेगी। |
उत्पादकता में वृद्धि | आधुनिक कृषि तकनीकों और प्रौद्योगिकी के उपयोग से फसल उत्पादन में 20-30% की वृद्धि होने की उम्मीद है। |
पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन | पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण सुविधाओं का विकास होगा, जिससे फसल खराब होने की समस्या कम होगी और किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी। |
सिंचाई सुविधाएं | ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी जल-कुशल तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पानी का उपयोग प्रभावी होगा। |
प्रशिक्षण और जागरूकता | ग्रामीण युवाओं और महिला किसानों को आधुनिक खेती की तकनीकों, जैसे ड्रोन और सेंसर-आधारित खेती, के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। |
महिलाओं का सशक्तिकरण | महिला किसानों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि वे कृषि और संबद्ध गतिविधियों में सक्रिय भाग ले सकें। |
इसके अलावा, योजना के तहत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया है, जिससे उन्हें आसानी से ऋण मिल सकेगा।
योजना का प्रभाव और महत्व
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल कृषि उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- आर्थिक सशक्तिकरण: किसानों की आय में वृद्धि होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यह योजना सरकार के “किसानों की आय दोगुनी” करने के लक्ष्य को समर्थन देगी।
- रोजगार सृजन: योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और संबद्ध गतिविधियों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे शहरी पलायन कम होगा।
- जलवायु-अनुकूल खेती: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए टिकाऊ खेती की तकनीकों, जैसे जैविक खेती और जल-कुशल सिंचाई, को बढ़ावा दिया जाएगा।
- महिलाओं और युवाओं की भागीदारी: ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “पिछले 11 वर्षों में भारत में खाद्यान्न, फल, और सब्जियों का उत्पादन 40% से अधिक बढ़ा है। लेकिन कुछ जिलों में उत्पादकता में अंतर को पाटने के लिए यह योजना एक गेम-चेंजर साबित होगी।”
चुनौतियां और समाधान
हर बड़ी योजना के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। इस योजना के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हो सकती हैं:
- जिलों का चयन और कार्यान्वयन: सही जिलों का चयन और वहां प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। इसके लिए नीति आयोग और जिला समितियों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- किसानों तक पहुंच: दूरदराज के क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों तक योजना का लाभ पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- जलवायु परिवर्तन: बदलते जलवायु पैटर्न के कारण फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:
- डिजिटल निगरानी के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- प्रगतिशील किसानों को जिला समितियों में शामिल करके स्थानीय स्तर पर योजना को प्रभावी बनाना।
- जलवायु-अनुकूल तकनीकों, जैसे ड्रिप सिंचाई और जैविक खेती, को बढ़ावा देना।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल उत्पादन बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाएगी और किसानों को सशक्त बनाएगी।
यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करके लागू की जाएगी, जिसमें निजी क्षेत्र और स्थानीय भागीदारों की भी भागीदारी होगी। इससे योजना का दायरा और प्रभाव और बढ़ेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की क्षमता रखती है। यह योजना न केवल कम उत्पादकता वाले 100 जिलों में फसल उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि टिकाऊ खेती, आधुनिक तकनीकों, और वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाली इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा, और यह ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
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