क्या आप जानते हैं प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के बारे में? कृषि मंत्री चौहान ने दिया धमाकेदार अपडेट, जानें कब से मिलेगा फायदा!
भारत, एक कृषि प्रधान देश, जहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा खेती और किसानों पर निर्भर है। लेकिन कई क्षेत्रों में कम उत्पादकता, संसाधनों की कमी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों ने किसानों की राह में रोड़े अटकाए हैं। इन समस्याओं को हल करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना की शुरुआत की है। इस योजना को केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषित किया था, और हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके बारे में विस्तृत अपडेट दिया है।
यह योजना देश के 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है। इसका उद्देश्य न केवल फसल उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना और किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस लेख में हम इस योजना के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, जिसमें इसकी विशेषताएं, लाभ, कार्यान्वयन की प्रक्रिया, और शुरू होने की तारीख शामिल हैं।
PM धन-धान्य कृषि योजना: एक परिचय
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर बनाया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य उन 100 जिलों को विकसित करना है जहां कृषि उत्पादकता कम है, फसलों की सघनता मध्यम है, और ऋण की उपलब्धता औसत से कम है। यह योजना 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिसमें छोटे और सीमांत किसानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह योजना रबी सीजन 2025 से शुरू होगी, और इसके लिए 24,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटित किया गया है, जो 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 वर्षों तक चलेगा। यह योजना 36 मौजूदा योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाकर 11 विभिन्न मंत्रालयों के साथ समन्वय में लागू की जाएगी।
योजना के प्रमुख उद्देश्य और विशेषताएं
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का लक्ष्य भारतीय कृषि को आधुनिक और टिकाऊ बनाना है। इसके तहत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है, जो निम्नलिखित हैं:
विशेषता | विवरण |
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फसल विविधीकरण | किसानों को एक ही फसल पर निर्भरता कम करने के लिए विभिन्न फसलों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और जोखिम कम होगा। |
टिकाऊ खेती | जलवायु-लचीली और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना, जैसे कि जल-कुशल तकनीकों और जैविक खेती का उपयोग। |
सिंचाई सुविधाएं | आधुनिक सिंचाई प्रणालियों, जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर, को बढ़ावा देना ताकि पानी का उपयोग प्रभावी हो। |
पोस्ट-हार्वेस्ट स्टोरेज | पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं का विकास, जिससे फसल खराब होने से बचे। |
वित्तीय सहायता | छोटे और सीमांत किसानों के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण की आसान पहुंच सुनिश्चित करना। |
प्रौद्योगिकी का उपयोग | डिजिटल और प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों को लागू करना, जैसे ड्रोन और सेंसर-आधारित खेती। |
प्रशिक्षण और जागरूकता | ग्रामीण युवाओं, महिलाओं और किसानों को आधुनिक खेती की तकनीकों के लिए प्रशिक्षण देना। |
योजना का कार्यान्वयन और निगरानी
इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार ने एक मजबूत तंत्र विकसित किया है। इसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- जिलों का चयन: योजना के तहत 100 जिलों का चयन तीन प्रमुख मानदंडों के आधार पर किया जाएगा – कम फसल उत्पादकता, मध्यम फसल सघनता, और कम ऋण उपलब्धता। प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिला चुना जाएगा। ये जिले जुलाई 2025 के अंत तक चिह्नित कर लिए जाएंगे।
- जिला धन-धान्य समिति: प्रत्येक चयनित जिले में एक समिति बनाई जाएगी, जिसका नेतृत्व जिला कलेक्टर करेंगे। इस समिति में प्रगतिशील किसान, विभागीय अधिकारी और अन्य हितधारक शामिल होंगे। यह समिति जिले की कृषि और संबद्ध गतिविधियों की योजना तैयार करेगी।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर की समितियां: राष्ट्रीय स्तर पर मंत्रियों और सचिवों की समितियां बनाई जाएंगी, जो योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी लेंगी। राज्य स्तर पर भी समान समितियां गठित होंगी।
- डिजिटल डैशबोर्ड: नीति आयोग द्वारा एक डिजिटल डैशबोर्ड बनाया जाएगा, जो 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) के आधार पर योजना की प्रगति को मासिक रूप से ट्रैक करेगा।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: योजना को और प्रभावी बनाने के लिए निजी क्षेत्र और स्थानीय भागीदारों के साथ सहयोग किया जाएगा।
योजना का लाभ और प्रभाव
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का लक्ष्य 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- उत्पादकता में वृद्धि: योजना के तहत उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक, और आधुनिक उपकरण जैसे ट्रैक्टर और पंप खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इससे फसल उत्पादन में 20-30% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
- आर्थिक सशक्तिकरण: किसानों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण की सुविधा मिलेगी, जिससे वे बेहतर उपकरण और तकनीकों में निवेश कर सकेंगे। यह उनकी आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को समर्थन देगा।
- जलवायु-लचीली खेती: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए टिकाऊ खेती की तकनीकों को बढ़ावा दिया जाएगा, जैसे ड्रिप सिंचाई और जैविक खेती। इससे फसल नुकसान में कमी आएगी।
- पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान में कमी: पंचायत और ब्लॉक स्तर पर भंडारण सुविधाओं के विकास से फसल खराब होने की समस्या कम होगी, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती: योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करेगी, जिससे शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कम होगा।
- महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण: ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे वे कृषि और संबद्ध गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले सकें।
कब से शुरू होगी योजना?
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि यह योजना अक्टूबर 2025 से रबी सीजन के साथ शुरू होगी। जुलाई 2025 के अंत तक 100 जिलों की पहचान पूरी कर ली जाएगी, और इसके बाद कार्यान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी। योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, और इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश अगले कुछ महीनों में जारी किए जाएंगे।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल कृषि उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और किसानों की आय में वृद्धि करेगी। यह योजना 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करके लागू की जाएगी, जिसमें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और अन्य समान योजनाएं शामिल हैं।
कृषि मंत्री चौहान ने यह भी बताया कि पिछले 11 वर्षों में भारत में खाद्यान्न उत्पादन में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है। फलों, सब्जियों और दूध के उत्पादन में भी ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन कुछ जिलों में उत्पादकता में अंतर को पाटने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण होगी।
चुनौतियां और समाधान
हर बड़ी योजना के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं। इस योजना के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हो सकती हैं:
- जिलों का चयन और कार्यान्वयन: सही जिलों का चयन और वहां प्रभावी कार्यान्वयन एक बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए नीति आयोग और जिला समितियों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- किसानों तक पहुंच: छोटे और सीमांत किसानों तक योजना का लाभ पहुंचाना, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में, एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन: बदलते जलवायु पैटर्न के कारण फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है, जिसके लिए योजना को लचीला होना होगा।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने डिजिटल निगरानी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर दिया है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रगतिशील किसानों को समितियों में शामिल करके योजना को और प्रभावी बनाया जाएगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की क्षमता रखती है। यह योजना न केवल कम उत्पादकता वाले जिलों में फसल उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि टिकाऊ खेती, आधुनिक तकनीकों और वित्तीय सहायता के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाएगी। अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाली इस योजना से 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा, और यह ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
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